*जैन साधु साध्वी को सूर्योदय पूर्व एवं सूर्यास्त के बाद विहार करने की नहीं है भगवान की आज्ञा...!*

 


न्यूज डेस्क। वर्तमान में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं ने कई साधु साध्वी भगवंतों की जीवन लीला समाप्त कर दी है जो सभी जैन संघो के लिए गहन चिंतनीय विषय बन चुका है। 
         पंच महाव्रत धारी सभी साधु साध्वी हम सभी के लिए परम्  वंदनीय है जो पंचम आरे में अर्हन्त तो नही पर अरहंतो की ही झांकी है ऐसे परम् वंदनीय साधु साध्वी भगवंतों के अम्मा पिया (माता पिता) का  दर्जा भगवान द्वारा मिलना श्रावक श्राविकाओं के लिए गर्व की बात है।  विहार संबंधी भगवान की आज्ञा को जानकर सौभाग्य से मिले माता पिता के अधिकारों को  निभाना हर संघ का नैतिक दायित्व बनता है। 
          अनंत कृपा कर उत्तराध्ययन सूत्र के  24वे अध्ययन में परमात्मा प्रभु फरमाते हैं कि साधु साध्विजी पाँच समिति तीन गुप्ति के धारक होते हैं, जिसमे ईर्या समिति का काल सिर्फ दिन का ही होता है। रात्रि में चक्षु का विषय नहीं होने के कारण सूर्योदय पूर्व व सूर्यास्त बाद का  विहार पूर्ण रूप से निषेध रहता है।  अगर अंधेरे में विहार करेंगे तो पैर के नीचे त्रसकाय जीव मर सकते है।  और साधु साध्वी तो हिंसा के त्यागी होते हैं। 
          सुर्यास्त के तुरंत बाद व  सूर्योदय होने तक आकाश से स्नेहकाय की भी  बारिश होती रहती है अतः रात्रि विहार से स्नेहकाय की भी हिंसा होती है, इसलिए सूर्यास्त से सूर्योदय तक विहार कर ही नहीं सकते हैं।  रात्रि में केवल लघुशंका  व बड़ीनीत परठने हेतु स्थानक भवन से बाहर लगभग 100 कदम तक  जाने की भगवान की आज्ञा है, वो भी कपडे से सिर  ढक कर एवं हर कदम रखने के पहले जीवों की यतना करते हुए  पूंजकर चलना होता है। क्योकि जैन दर्शन का प्राण ही जीवों की यतना है।
         सूर्योदय से पहले व  सूर्यास्त के बाद के विहार से साधु साध्वीजी को अहिंसा महाव्रत में दोष लगता है व साथ ही दुर्घटना  का खतरा भी बढ़ जाता है। सूर्योदय के पहले विहार करना किसी भी साधु साध्वी को कल्प्य नहीं है।  सूर्योदय के बाद कभी भी विहार कर सकते हैं  पर विहार सूर्यास्त के पहले पहले तक पूरा हो जाना चाहिए।
           संघ सदैव  साधु साध्वीजी का हितेषी है, शुभ चिंतक है, उनके सयंम की सुरक्षा करना चाहता है।  इसलिए सभी श्रावक संघो से करबद्ध निवेदन है  कि अम्मा पिया का दायित्व निभाते हुए कोई भी साधु साध्वी  सूर्योदय पूर्व या सूर्यास्त बाद विहार करते दिखे तो उनसे विनय पूर्वक, नम्रता से निवेदन करे कि कृपया सूर्योदय पूर्व या सूर्यास्त बाद विहार नहीं करे इसी में आपके सयंम की सुरक्षा व महाव्रतों का पालन है साथ ही  दुर्घटना  का भी  खतरा कम रहेगा ।
              अपने शब्दों को विराम देते देते पुनः आप सभी जैन संघो से निवेदन करताहूँ कि साधु साध्वी भगवंतों के अम्मा पिया होने का दायित्व निभाते हुए सूर्यास्त बाद व सूर्योदय पूर्व के विहार बंद करवाए जिससे बढ़ती दुर्घटनाए रुकेगी तथा सबसे बड़ी बात साधु साध्वी ईर्या समिति का पालन करेंगे, जीव रक्षा होगी उसका लाभ भी हमें मिलेगा।


-दिनेश जैन, फिलखाना हैदराबाद. (साभार)


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