आत्मा समर्पण की साधना से मिलता हैं परमात्मा : देवेंद्रसागरसूरिजी


बेंगलुरु। यहां शांतिनगर श्वेताम्बर जैन मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी महाराज साहेब की निश्रा में विशेष परमात्मा अभिषेक का आयोजन शनिवार प्रातः हुआ। मंत्रोच्चार पूर्वक हुए इस अभिषेक में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि आत्मा की परिपूर्णता प्राप्त कर परमात्मा में प्रतिष्ठित होने के दो मार्ग हैं, एक प्रयत्नपूर्वक प्राप्त करना और दूसरा अपने आपको सौंप देना। प्रथम मार्ग में विभिन्न साधनाएँ करनी पड़ती हैं, चिन्तन, मनन, ज्ञान के द्वारा विभिन्न उपक्रमों में सचेष्ट रहना पड़ता है। दूसरी ओर सम्पूर्ण भाव से परमात्मा के प्रति समर्पण करना पड़ता है। तरह- तरह की साधनाएँ, विधि- विधानों का अवलम्बन लेकर प्रयत्नपूर्वक ईश्वर- प्राप्ति की आकांक्षा रखने वाले बहुत मिल सकते हैं, किन्तु सम्पूर्ण भाव से अपने परमदेव के समर्पण हो जाने वाले, जीवन में सर्वत्र ही परमात्मा को प्रतिष्ठित करने वाले, अपनी समस्त बागडोर प्रभु के हाथों सौंप कर उसकी इच्छानुसार संसार के महाभारत में लड़ने वाले अर्जुन विरले ही होते हैं। 
आचार्यश्री बोले, विभिन्न साधनाओं, व्रत, तपश्चर्याओं में अपनी शक्ति का परिचय देकर अपनी साधना का हिसाब लगाने वाले साधकों में एक प्रकार का विशेष सात्विक अहंकार पैदा हो जाता है और यही एक दीवार बनकर आत्मा और परमात्मा के बीच अवरोध खड़ा कर देता है। इसे ही शास्त्रकारों ने ज्ञानजन्य भी अन्धकार कहा है। यही कारण है कि ज्ञानी, ध्यानी, तपस्वी, सिद्ध, योगी बनना दूसरी बात है, किन्तु सम्पूर्ण भाव से परमात्मा की उपलब्धि करना, उसमें प्रतिष्ठित होना सर्वथा भिन्न है। उन्होंने कहा कि  विभिन्न साधनाओं के रहते भी अपने समस्त कर्तृत्व, अहंकार, निजत्व की भावनाओं को मिटाकर समस्त जीवन को प्रभु चरणों में समर्पण किये बिना परमात्मा में प्रतिष्ठित होना संभव नहीं है। आत्म समर्पण की महत्ता को उजागर करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि  ईश्वर के प्रति आत्म- समर्पण करने का यह अर्थ नहीं है कि हम जो कुछ करें वह सब ईश्वर कर रहे हैं। यदि यह धारणा बना ली जायेगी तो एक बहुत बड़ी भूल होगी और हमारे आध्यात्मिक जीवन में एक गंभीर दुर्घटना समझी जायेगी। आत्म- समर्पण के बल पर अपनी बुराइयों, दुष्कृत्यों को पोषण देना, अपने कृत्यों द्वारा प्राप्त असफलता को ईश्वर के मत्थे मढ़ना आत्म समर्पण की भावना के अनुकूल नहीं है। यह तो एक तरह की विडम्बना और आत्म- प्रवंचना है। 



गणतंत्र दिवस पर आचार्यश्री देवेंद्रसागरजी की निश्रा में विशेष आयोजन 


रविवार को सुबह 9 बजे आचार्यश्री की प्रेरणा से शांतिनगर नव युवक मंडल द्वारा प्रभात फेरी का आयोजन किया जाएगा, प्रभात फेरी का समापन  प्रमुख मार्गो से होते हुए श्री आदिनाथ जैन मंदिर में पहुँचते ही ध्वज वंदन के साथ होगा। इसके बाद गुरुजी की निश्रा में सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ होगा, जिसमें बालक-बालिकाएं देशभक्ति नाटिका आदि प्रस्तुत करेंगे। साथ ही आचार्यश्री का प्रवचन होगा। प्रवचन के बाद शांति नगर जैन संघ की ओर से भाता की प्रभावना दी जाएगी।