श्री मुनिसुव्रतस्वामी राजेंद्रसूरि जिन मंदिर के रजत जयंति महोत्सव का आगाज


बेंगलूरु। यहां एवेन्यु रोड़ स्थित श्री मुनिसुव्रतस्वामी-राजेंद्रसूरी जिन मंदिर की 25वीं वर्षगांठ रजत जयंती का रत्नत्रयी त्रिदिवसीय महोत्सव बुधवार को गाजे-बाजे के साथ भव्य कलश एवं शोभायात्रा के साथ शुरु हुआ। श्री मुनिसुव्रतस्वामी-राजेंद्र जैन श्वेतांबर टेंपल ट्रस्ट के तत्वावधान में आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी व साध्वीश्री सूर्योदयाश्रीजी की निश्रा में हुए इस कार्यक्रम में आचार्यश्री मंगलाचरण किया। इसके बाद अपने अपने प्रवचन में उन्होेंने कहा कि मनुष्य जीवन, जिनशासन और परमात्मा का सान्निध्य महान पुण्य से मिलता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने अगले भव अर्थात् मोक्ष के लिए परमात्मा की भक्ति शुद्धभाव से करनी चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि परमात्मा की प्रतिमा के दर्शन से दरिद्रता का नाश होता है, वंदना से मनभावन-इच्छापूर्ति होती है तथा पूजा-आराधना से भवांतर में मोक्ष प्राप्ति फलित होती है। देवेंद्रसागरजी ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में जन्मकुंडली के आधार पर अनेक दोष बताए जाते हैं। वे बोले कि कालसर्पदोष, पितृदोष से भी बढ़कर कर्मयोग दोष होता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सदैव परमात्म भक्ति के साथ, गुरु भगवंतों की निश्रा में इस धरा के प्रत्येक प्राणी के प्रति प्रेमभाव रखते हुए अच्छे ही कर्म करने चाहिए। सत्य घटना पर आधारित प्रभुभक्ति के एक उदाहरण के साथ आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि घर, परिवार एवं समाज में परस्पर प्रेम एवं समन्वय पूर्वक कार्य करते हुए उत्तरोत्तर प्रगति की राह पर बढ़ना चाहिए। इससे पूर्व मुनिश्री महापद्मसागरजी ने दान, शील, तप और भाव की व्याख्या की। उन्होंने दानधर्म में सुपात्र एवं वस्त्रिकादान की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए मय प्रसंग के कहा कि विवेक एवं आदरपूर्वक किया गया दान ही पुनवानी प्रदान करता है। इससे पूर्व चम्पालाल (ओ सी) जैन ने स्वागत वक्तव्य दिया। संघ-ट्रस्ट की विविध गतिविधियों पर अध्यक्ष भंवरलाल कटारिया ने अपने विचार व्यक्त किए। कटारिया ने मंदिर में वर्षपर्यंत होने वाले अनेक धार्मिक आयोजनों की भी जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन भंवरलाल भंडारी ने किया। ट्रस्टी ओ सी जैन ने बताया कि इससे पूर्व प्रातः छह बजे से मंदिर में श्री भक्तामर पाठ एवं गुरु गुण इकतीसा हुआ। दोपहर में श्री पाश्र्वनाथ पंचकल्याणक पूजा तथा शाम को परमात्मा की लाखेणी अंगरचना एवं भक्ति भावना का कार्यक्रम हुआ। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर शांतिलाल सोलंकी, कांतिलाल कबदी, तेजराज नागोरी, डूंगरमल चोपड़ा, रमेश सालेचा, प्रकाश बालर, नेमीचंद सिंघवी, भंवरलाल भंडारी, राजेश कांकरिया, उगमराज भंडारी, लेखराज डोसी, प्रेमा मूथा सहित अनेक महिला मंडल एवं आरतीमंडल चम्पा लाल आदी की सदस्याओं सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। डूंगरमल चोपड़ा ने बताया कि गुरुवार प्रात: 6 बजे श्री भक्तामर पाठ एवं गुरुगुण इकतीसा व श्री गुरु महाराज की अष्टप्रकारी पूजा तथा आचार्यश्री का प्रवचन होगा, दोपहर 2 बजे से श्री मुनिसुव्रतस्वामी महापूजन तथा शाम को परमात्मा की लाखेंनी अंगरचना एवं भक्ति भावना की प्रस्तुतियां दी जाएगी। चोपडा ने बताया कि आयोजन के समापन दिवस पर 7 फरवरी को प्रात: 7.30 बजे अट्ठारह अभिषेक, 9 बजे से सत्तरभेदी पूजा एवं 10 बजे 25वीं ध्वजारोहण कार्यक्रम होगा। मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने पुण्यार्जन के इस कार्यक्रम में अधिकाधिक संख्या में श्रद्धालुओं से भाग लेने की अपील की है। उन्होंने बताया कि तीनों दिन शाम को बेंगलुरु के सुप्रसिद्ध मंडलों द्वारा भक्तिमय प्रस्तुतियां दी जाएगी। सभी का आभार भंवरलाल कटारिया ने जताया।