रेपिड टेस्ट किट मोदी सरकार को बेचने वाले दलालों के नाम उजागर हो, आखिर 245 रुपए वाला किट 600 रुपए में क्यों खरीदा?


न्यूज डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि रेपिड टेस्ट किट खरीदने में सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है, क्योंकि संबंधित फर्म को अग्रिम भुगतान नहीं किया गया था। अब सभी 6 लाख घटिया किट फर्म को वापस लौटाए जा रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि भारत में ऐसी कौन सी फर्म है जो कोरोना वायरस के प्रकोप के माहौल में करोडों रुपए का मोटा मुनाफा कमा रही थी। एक ओर लॉकडाउन में बड़े उद्योगपति और कारोबारी दान दे रहे हैं, वहीं कुछ लोग मुनाफा कमाने में लगे हुए है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने रेपिड टेस्ट किट के लिए चीन की दो कंपनियों को अधिकृत किया था। भारत में चीन की कंपनी वोन्डफा ने अपने अधिकृत एजेंट को यह किट 245 रुपए में सप्लाई किए। लेकिन आईसीएमआर ने एक किट को 600 रुपए में खरीदने का ऑर्डर दिया। यानि संबंधित दलाल ने एक किट पर 255 रुपए का मुनाफा कमाया। सरकार ने 6 लाख किट का ऑर्डर दिया था। सवाल उठता है कि देश में ऐसा कौन सा दलाल है जो इस मुसीबत के दौरे में भी करोड़ों रुपए कमाने का लालच रखता है? ऐसे दलाल का नाम उजागर होना चाहिए। यूं तो मीडिया में हर खबर की खोज की जाती है, लेकिन चीन के रेपिड किट की सप्लाई करने वाले दलाल का अभी तक पता नहीं चला है। नरेन्द्र मोदी के शासन में यह दावा किया जाता है कि सरकार ने दलालों की भूमिका समाप्त कर दी है। अब मोदी सरकार सीधे ही संबंधित सरकारों से समझौता करती है। ताकि दलाली न देनी पड़े। लेकिन रेपिड टेस्ट किट का मामला बताता है कि दलाल अभी सक्रिय हैं। एक ओर हम चीन से दोस्ताना संबंध की बात करते हैं और चीन के राष्ट्राध्यक्ष को बुलाकर जोरदार स्वागत करते हैं, वहीं चीन की कंपनियां भारत में सीधे तौर पर माल सप्लाई नहीं करती है। आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि चीन की वोन्डफा कंपनी को रेपिड टेस्ट किट सप्लाई करने के लिए कहा था, लेकिन कंपनी एडवांस राशि की मांग की, इसलिए दलाल के माध्यम से किट खरीदे गए। यानि जिस चीन के राष्ट्रध्यक्ष को हम दोस्त माने रहे हैं, उसी चीन की कंपनी हमें उधार में माल नहीं दे रही। इससे दोस्ती का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने भी दलाल के माध्यम से रेपिड टेस्ट किट खरीदे थे। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार से मुनाफाखोरी पर सवाल उठाया है। अच्छा हो कि राहुल गांधी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पूछ कर उस मुनाफाखोर का नाम उजागर करे। गहलोत कम से कम राहुल गांधी को तो मुनाफाखोर का नाम बता ही देंगे। इस पूरे प्रकरण में आईसीएमआर भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है। जब चीन की कंपनी को रेपिड टेस्ट किट के लिए मान्यता दी गई तभी सप्लाई की भी बात की जानी चाहिए थी। माना कि देश कोरोना काल से गुजर रहा है और प्रतिदिन नई मुसीबतें खड़ी हो रही है, लेकिन फिर भी देशवासियों को नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार पर भरोसा है। इस भरोसे को कायम रखने के लिए रेपिड किट के दलालों के नाम उजागर होने चाहिए। 
(साभार:एसपी.मित्तल)


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