देशी घी के क्षेत्र में अब राजस्थान की सरस डेयरी अमूल, मदर, लोटस जैसी बाहरी संस्थाओं से मुकाबला कर सकेगी..! मंडी शुल्क वृद्धि का भार प्रदेश के उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा

 


न्यूजडेस्क। राजस्थान सरकार द्वारा दो प्रतिशत मंडी शुल्क बढ़ाने के विरोध में भले ही व्यापारिक वर्ग आंदोलन कर रहा हो, लेकिन अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी ने अशोक गहलोत सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। चौधरी ने कहा कि इससे अब देशी घी उत्पादन के क्षेत्र में राजस्थान की सरस डेयरी को बाहरी संस्थाओं से मुकाबला करने में मदद मिलेगी। यह पहला अवसर है, जब अमूल, मदर, पायस, लॉटस जैसी बाहरी डेयरियों के देशी घी को भी मंडी शुल्क के दायरे में लाया गया है। अब इन बाहरी डेयरियों के देशी घी पर मंडी शुल्क नहीं लगता था, जबकि सरस डेयरी के घी पर 1.6 प्रतिशत मंडी शुल्क वसूला जा रहा था। यानि सरस डेयरी को प्रति लीटर करीब 6 रुपए मंडी शुल्क चुकाना पड़ता था ऐसे में अमूल जैसी प्रमुख डेयरी राजस्थान में बड़ी मात्रा में घी बेच कर मुनाफा कमा रही थी। हालांकि दो प्रतिशत मंडी शुल्क बढऩे से सरस डेयरी के घी पर करीब साढ़े आठ रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगेगा, लेकिन अब यह शुल्क बाहरी की डेयरियों को भी चुकाना होगा। ऐसे में सरस डेयरी देशी घी के उत्पाद के क्षेत्र में मुकाबला कर सकेगी। अब सभी डेयरियों को एक लीटर घी पर करीब 14 रुपए मंडी शुल्क चुकाना होगा। चौधरी ने कहा कि दो प्रतिशत वृद्धि के बाद जो साढ़े आठ रुपए का अतिरिक्त पड़ा है  उसे प्रदेश के उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। सरकार को 14 रुपए मंडी शुल्क जमा कराने के बाद भी उपभोक्ताओं को पहले की तरह 470 रुपए प्रतिलीटर के भाव से सरस घी उपलब्ध रहेगा। इसी प्रकार 15 किलो वाले टीन के 7 हजार 350 रुपए में भी कोई वृद्धि नहीं की जा रही है। प्रदेशभर के जिला संघों ने सर्वसम्मति से तय किया है कि मंडी शुल्क वृद्धि को डेयरी प्रबंधन ही वहन करेगा। बाहरी डेयरियों के घी को मंडी शुल्क के दायरे में लाने पर डेयरी अध्यक्ष चौधरी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से सरस डेयरी को फायदा होगा। अब अमूल जैसी संस्था राजस्थान में कम कीमत पर घी नहीं बेच सकेंगी। 


जीएसटी कम हो..


डेयरी अध्यक्ष चौधरी ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि देशी घी पर जीएसटी की दर कम की जाए। मौजूदा समय में डेयरी के घी पर 12 प्रतिशत जीएसटी वसूली जा रही है। सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाली डेयरी को एक लीटर घी पर 26 रुपए जीएसटी चुकाना पड़ता है। जबकि पूर्व में डेयरी के घी पर पांच प्रतिशत ही वेट था। केन्द्र सरकार को पहले की तरह पांच प्रतिशत ही टैक्स लेना चाहिए। एक ओर सरकार किसानों की आय को दोगुना करने की बात कहती है तो दूसरी तरफ दूध के उत्पाद पर 12 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा है। 
(साभार:एसपी.मित्तल)


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