जिन शासन स्थापना दिवस 4 मई को, 'एक सामायिक शासन के नाम' विषयक कार्यक्रम होगा



बेंगलुरु। जैन धर्म अनादिकाल से विद्यमान है। तीर्थंकर भगवान को केवलज्ञान होने के बाद शासन की स्थापना करते हैं। प्रभु वीर साढे बारह वर्ष की घोर साधना करके वैशाख शुक्ल 10 के दिन चार घाती कर्म के क्षय करके केवल ज्ञान की प्राप्ति करते हैं और तुरंत समवसरण में देशना देते हैं। प्रभु की वाणी सुनकर इंद्रभूती गौतम स्वामी सहित 11 गणधरों ने दीक्षा ली। चंदनबाला साध्वी बनीं, बारा व्रतधारी श्रावक-श्रावीका बनें, और फिर प्रभु वीर ने श्रमण-प्रधान चतुर्विध संघ (साधू, साध्वी, श्रावक, श्राविका) की स्थापना की, वह दिन है "वैशाख शुक्ल एकादशी" अर्थात "शासन स्थापना दिवस"। महावीर प्रभु का जिन शासन 21000 वर्ष तक चलेगा जो वर्तमान में चल रहा है। तब से अब तक जैन धर्मावलंबियों द्वारा हर वर्ष शासन स्थापना दिवस पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और विश्व शांति व कल्याण की कामना व भावना व्यक्त की जाती है। प्रभु महावीर ने चतुर्विध संघ की स्थापना कर हम पर अनंत उपकार किया। जैनियों के लिए यह गौरव का अत्यंत ऐतिहासिक दिन है। श्री ऑल इंडिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन काँफ़्रेंस के राष्ट्रीय मंत्री सुनील सांखला जैन ने बताया कि वर्तमान कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन की स्थिति में समस्त जैन समाज से निवेदन किया गया है कि इस पावन दिवस पर अपने-अपने घर पर एक-एक सामायिक प्रात: 9 बजे की जाय। साथ ही अपने-अपने घर में जैन ध्वज लगाए एवं ध्वज प्रति सम्मान व श्रद्धा का संकल्प भी लें। सांखला के मुताबिक छोटे छोटे नियम लेने की अपील की जा रही है। त्याग करने से एकाग्रता बढ़ती है, संकल्प शक्ति मजबूत होती है और कर्म निर्जरा सहज ही होती है। उन्होंने बताया कि यह श्रेष्ठ अवसर है कि साधुजी-साध्वीजी की वयावच्च, सधर्मिक भक्ति, अनुकम्पा, जीव दया, तन मन धन से यथाशक्ति प्रयत्न किया जाए।



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