न्यूजडेस्क। एक ओर कोरोना विषाणु के प्रादुर्भाव से जनता के प्राण संकट में न पड जाएं इसलिए सरकार ने आर्थिक हानि सहन करते हुए लॉकडाउन का साहसी और प्रशंसनीय निर्णय लिया, परंतु दूसरी ओर केवल राजस्व (रेवेन्यू) वृद्धि के लिए मद्य (शराब) की दुकानें खोलने का निर्णय लिया। इससे देश में कोरोना का प्रादुर्भाव बढेगा जिससे निश्चित ही आमजनता संकट में पडेगी। इसके अतिरिक्त मद्य के कारण होने वाले महिलाओं पर अत्याचारए बच्चों पर होने वाले गलत संस्कार ही पड़ेंगे। इसलिए समाज के सर्वांगीण हित के लिए और कोरोना का बढता प्रभाव रोकने के लिए मद्य की दुकानें खोलने का निर्णय केंद्र और राज्य सरकार यथाशीघ्र निरस्त करे। हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने मंगलवार को एक बयान जारी कर यह मांग की है। उन्होंने कहा कि मद्य की दुकानें खोलने की अनुमति मिलने से आज अनेक स्थानों पर लंबी.लंबी कतारें दिखाई दीं। देश में कोरोना का प्रभाव और उससे होने वाली मृत्यु दर में वृद्धि होने पर भी मद्य की दुकानों के बाहर की स्थिति अत्यंत भयावह है। सरकार के बनाए नियम अर्थात सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, मास्क लगाना, धारा 144 के अनुसार चार लोगों को एकत्र न आना, घर में ही रहना आदि सर्व नियम पैरों तले रौंदे जा रहे हैं। बिना मद्यपान किए जब यह स्थिति है, तब मद्यपान कर धुंद होने के पश्चात क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना करना भी भयानक है। मद्य कोई जीवनावश्यक बातों में से नहीं है। इस निर्णय के कारण देश में कोरोना का प्रादुर्भाव बढने की संभावना प्रबल है। शिंदे ने कहा कि समाजहित में देश के हित में मद्य की दुकानें खोलने की अनुमति देने वाला निर्णय केंद्र और सभी राज्य सरकारें यथाशीघ्र निरस्त करें।