न्यूज डेस्क। अभी देशव्यापी लॉक-डाउन के दो ही दिन हुए हैं कि प्रिंट मीडिया पर कोविड-19 का कहर साफ नजर आने लगा है। अखबारों के पन्ने कम हुए हैं, उनका वितरण बाधित हुआ है और विज्ञापन नदारद हो गए हैं। जो अखबार 20 से 40 पेज के हुआ करते थे, वे महज 12 से 20 पेज में सिमट गए हैं। जिन अखबारों में 40 से 60 फीसदी स्पेस विज्ञापनों से भरी रहती थी उन अखबारों में विज्ञापन महज 10 से 12 फीसदी स्पेस में सिमट गए हैं। घरों में कैद जिन लोगों की सुबह चाय और अखबार से होती थी, वे लोग अब नेट पर ई- पेपर पढ़ने की आदत डाल रहे हैं। बहुत संभव है कि इनमें से ज्यादातर लोग लॉक-डाउन की अवधि पूरी होने पर अपने पुराने अखबार पर लौटे ही नहीं। ऐसे में प्रिंट मीडिया की विज्ञापन आय तो कम होगी ही, प्रसार संख्या भी सिकुड़ जाएगी। नतीजे में पत्रकार और गैर-पत्रकार कर्मचारियों पर बड़े पैमाने पर छंटनी की तलवार लटकना लाजिमी है। अखबारों के लिए कागज-स्याही और अन्य सामग्री बनाने वाले उद्योगों पर भी इसका असर निश्चित ही पड़ेगा। प्रिंट मीडिया, जिसे विज्ञापन उद्योग कहा जाता है, के इस संभावित भविष्य की कल्पना करके ही सिहरन होने लगी है। काश, यह कल्पना गलत साबित हो और प्रिंट मीडिया भी देशवासियों की तरह इस गहरे संकट से उबर सके।