कोरोना ; संकट की इस घड़ी में देवदूत बन कर सेवा में जुटे मंदिर, मठ, पंडित, पुजारी : सुशील ओझा

 


देशभर में सेवा में जुटी विप्र सेना का अभिनंदनीय कार्य


 एक ओर जहाँ हॉस्पिटल में सफेद कपड़ों में लोगों के प्राण बचा रहे हैं तो दूसरी ओर भुदेव हॉस्पिटल के बाहर सामाजिक स्तर पर योगदान कर रहे है। देश के मन्दिर, मठ, पुजारी, पंडित, आचार्य, आध्यात्मिक ट्रस्ट आदि विपदा की इस घड़ी में सड़कों पर उतर आये हैं। कोई सरकारों को धनराशि दे रहा है, तो कोई पूजन, हवन, अनुष्ठान रूपी साधना से लोगों के कष्ट हरने में जुटे हैं। ऐसे अनगिनत छोटे-बड़े मन्दिर, मठ ट्रस्ट है जिन्होंने अपने सामर्थ्य स्वरूप इस कठिन समय में जन सहायतार्थ 50 लाख से 5 हजार तक की धनराशि न्योछावर की है। यही नहीं मंदिरों में अनुष्ठान चल रहे हैं जिससे मानवता को इस आपदा से बचाया जा सके। इन पवित्र स्थानों पर  भोजन की भट्ठियाँ भी लगातार चल रहीं है। कोरोना महामारी के चलते पशु, पक्षी व गौ माता के जीवन पर भी भोजन पानी का संकट गहराया है। इस बाबत भी यह वर्ग सचेतनतापूर्वक कार्य कर रहा है। असंख्य गौशालाओं ने देश के गौ वंश की रक्षार्थ अपना सर्व-सामर्थ्य झौंक दिया है। संत महात्माओं द्वारा लगातार अपने भक्तों को यथा संभव सहयोग का आह्वान कारगर होता दिखने लगा है। ब्राह्मण समाज की अग्रणी वैश्विक संस्था विप्र फाउंडेशन के संस्थापक-संयोजक सुशील ओझा ने इस मुहिम को अभिनन्दनीय बताते हुए इसके विस्तार का आह्वान करते हुए आशा व्यक्त की है कि देश के प्रत्येक मन्दिर, मठ एवं आचार्यगण द्वारा मानवता व जीव दया के प्रति किये जा रहे इस तपोनिष्ठ योगदान से देशवासियों को शीघ्र ही राहत मिलेगी।



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