प्रतिदिन 27 बार जपें यह मंत्र, सावधानी भी रखें ज्यादा दिन का नहीं कोरोना : डॉ वसंतविजयजी म.सा.
राष्ट्रसंतश्री बोले, दुनिया को मानना होगा जैन धर्म का सिद्धांत जियो और जीने दो
इंदौर। विश्वविख्यात श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थ धाम कृष्णगिरी के पीठाधीपति, राष्ट्रसंत, विश्वशांतिदूत डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस धरा को बचाना है तो ब्रह्मांड के समस्त जीवों की रक्षा करने के लिये जैन धर्म के संदेश जियो और जीने दो तथा अहिंसा परमो धर्म के सिद्धांत को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि एक तरफ महावीर है दूसरी तरफ महामारी अर्थात महाविनाश। प्रत्येक जीव की रक्षा का चिंतन करना मनुष्य का कर्तव्य होना चाहिए। वे यहां प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ दादा के जन्म कल्याणक अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। भक्ति के साथ युक्ति की सूझबूझ की प्रेरणा देते हुए राष्ट्रसंतश्रीजी ने कहा कि भक्ति में व्यक्ति भावविभोर होता है मनोरंजन में नहीं। वैश्विक स्तर पर महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस में सर्वथा सावधानी रखने के साथ भयमुक्त, आत्मबल एवं व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए उवसग्गहरम के संक्षिप्त मंत्र जाप को भी उन्होंने बतलाया। ओम ह्रीं श्री पार्श्वनाथाय महामारी भयं निवारय मम रक्षां कुरु कुरु स्वाहा इस मंत्र के 27 बार प्रतिदिन मंत्र जाप के रक्षा कवच से वायुमंडल की तरंगे व्यक्ति को निश्चित ही सर्वथा स्वस्थ एवं सुरक्षित रखेगी। मंत्र शिरोमणि, सर्वधर्म दिवाकर, विद्यासागर संतश्रीजी ने कहा, स्वयं मनुष्य द्वारा जीव हत्या व मांसाहार के साथ इजाद किए गए इस कोरोना वायरस से जल्द ही छुटकारा भी मिल जाएगा, मगर प्रत्येक व्यक्ति को सावधानियों के साथ ईश्वरीय भक्ति एवं शक्ति को भी मानना होगा। परमात्मशक्ति द्वारा सुनियोजित यंत्र के रूप में बने मनुष्य शरीर को ब्रह्मांड का ही रूप बताते हुए डॉ वसंतविजयजी ने कहा कि भारतीय ऋषि-मुनियों व तीर्थंकरों की वर्षों पुरानी परंपराओं-आध्यात्मिक शक्तियों को दुनिया को मानना ही पड़ेगा। विभिन्न ध्वनियों में विभिन्न प्रकार के कंपन शक्ति एवं प्रभाव को भी उन्होंने विस्तार से बताया। इस अवसर पर मशहूर संगीतकार नरेंद्र वाणीगोता ने गुरु वंदन की अनेक भक्तिमयी प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर किया। श्रीकृष्णगिरी पार्श्वपद्मावती भक्त मंडल इंदौर के अध्यक्ष अभय बागरेचा ने सभी का स्वागत किया। डॉ सुनील मंडलेचा, रितेश नाहर, अरविंद बांठिया, नरेंद्र जैन व अनिल लुणावत आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे। सभी का आभार अजय कटारिया ने जताया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पारस चैनल पर भी किया गया।