सेवा, भक्ति और दान को गिने नहीं, समृद्धि अनगिनत हो जाएगी : डॉ वसंतविजयजी म.सा.
"जो अंदर से ही दुखी है, वह जीवन में कभी सुखी नहीं हो सकता"
श्रीजी वाटिका में सर्वांगीण विकास मार्गदर्शन शिविर में राष्ट्रसंतश्री का उद्बोधन
इंदौर। घर में उत्तर दिशा की दीवार पर घड़ी होनी चाहिए। घड़ी के पास किसी देवी देवता का फोटो नहीं होना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में भारी सामान होना चाहिए। ऑफिस या घर में बैठते समय आपकी पीठ के पीछे ॐ, स्वास्तिक या भगवान का फोटो नहीं बल्कि यह सब सामने परिलक्षित होना चाहिए। घर सदैव स्वच्छ हो तथा अपने घर से पूर्ण समर्पण भाव से व्यक्ति को प्रेम करना चाहिए। घर से आपकी आस्था और समर्पित भाव से प्रेम निश्चित ही सुख समृद्धि देगा तथा रोग-परेशानियों से मुक्त रखेगा। कुछ ऐसी और अनेक सरल तथा वास्तु से जुड़ी, रोचक, जीवनोपयोगी सुखी जीवन जीने की प्रेरणास्पद जानकारी राष्ट्रसंत, श्रीकृष्णगिरी, शक्तिपीठाधिपति, विद्यासागर, सर्वधर्म दिवाकर, डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब ने दी। उन्होंने कहा कि इंदौर शहर अनेक वर्षों से देश भर में स्वच्छता के क्षेत्र में डंका बजाकर पहला पायदान (चौथी बार) हासिल कर रहा है। इसी प्रकार प्रत्येक इंदौरियन्स सदैव सुखी रहे, बीमारियों-परेशानियों से मुक्त रहें तथा सदैव खुशहाल रहते हुए अपने परिवार, समाज व श्रेष्ठ राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी निभाए इसके लिए श्रेष्ठ जीवन जीने की कला भी होनी जरूरी है। वे यहां फूटी कोठी चौराहा स्थित श्रीजी वाटिका में जीवन के सर्वांगीण विकास मार्गदर्शन शिविर में प्रतिदिन संबोधन दे रहे हैं। श्री पार्श्वपद्मावती शक्ति पीठ भक्त मंडल इंदौर के तत्वावधान में आयोजित इस अभिनव शिविर में अपना अनुपम मार्गदर्शन देते हुए डॉ वसंतविजयजी ने कहा कि धर्म-पंथ अपनी जगह है, मगर जीवन शैली में संस्कार, सकारात्मक सोच एवं गुणों की विद्यमानता भी आवश्यक है। अपने अमृतमयी संदेश में उन्होंने कहा कि आज के सांसारिक व्यक्ति एवं समाज को धर्म से पहले संस्कारित होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज को ज्ञान देना संतों का कर्तव्य है और ज्ञान के साथ-साथ विवेक से घर-घर में खुशहाली आएगी। संतश्रीजी ने कहा कि इंदौर जिस प्रकार स्वच्छता के क्षेत्र में देश में श्रेष्ठता की शील्ड हासिल कर रहा है। वैसे ही घर-घर में समृद्धि और खुशहाली आए इसके लिए जीना सीखना होगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति आज किस स्थिति में है, और वह भविष्य में किस भी स्थिति में जाना चाहता है यह उसके प्रयास पर ही निर्भर करता है। साथ ही उसकी क्वालिटी और विकास का लक्ष्य भी बड़ा हो यह भी मायने रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व की क्षमता को अंदर से बढ़ाने के लिए क्वांटम जम्पिंग की महत्ती आवश्यकता पर जोर देते हुए एवं इसे बतलाते हुए राष्ट्रसंतश्री ने कहा कि जो मनःस्थिति से अर्थात अपने आंतरिक स्वभाव से समृद्ध है वही संपन्नता को प्राप्त कर सकता है तथा जो अंदर से ही दुखी है वह जीवन में कभी सुखी हो ही नहीं सकता। दुख के बेस को समझने की सीख देते हुए अनेक प्रसंगों व मय उदाहरण के डॉक्टर वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि व्यक्ति के दुख की शुरुआत उसी की जीवनशैली में ही छिपी होती है। घर के, परिवार के तथा संसार के प्रत्येक प्राणी, जीवात्माओं से प्रसन्नता पूर्वक मृदुव्यवहारी बनना होगा, वात्सल्य भाव रखना होगा तथा अपनी विचारधारा को मजबूत करना होगा। भागदौड़ भरी जिंदगी की दिशा को समझते हुए अपने लक्ष्य को तय करना होगा। विद्यासागर, सिद्धिसम्राट संतश्रीजी यह भी बोले कि किसी भी व्यक्ति अथवा परिवार के सदस्यों का सुख-दुख व सफलता-असफलता उसके निवास करने वाले घर की ऊर्जा, शक्ति एवं तरंगों पर निर्भर करती है। घर के सुपर वाइब्रेशन में ही व्यक्ति की लाइफ प्रोस्पेरिटी को विस्तार से समझाते हुए संतश्रीजी ने प्रैक्टिकली जीवन जीने में राजा और रंक तक बनने के ज्ञान को विस्तृत रूप से परिभाषित किया। श्रेष्ठ जीवनशैली से जुड़े अनेक वैज्ञानिकों के विभिन्न शोधों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जिसने जीना ही नहीं सीखा वह धर्म को नहीं जान सकता। ईश्वर की इबादत, सेवा, पूजा, दान व भक्ति का कभी आकलन नहीं करेंगे तो समृद्धि अनंत गुना हो जाएगी। इस अवसर पर श्री कृष्णगिरि पार्श्व पद्मावती भक्त मंडल इंदौर के अध्यक्ष अभय बागरेचा, अजय कटारिया, रितेश नाहर, अरविंद बांठिया, अर्पिता जितेंद्र बाफना, डॉ सुनील मंडलेचा सहित बड़ी संख्या में इंदौर, उज्जैन, मुंबई, गुजरात व भोपाल इत्यादि अनेक शहरों से श्रद्धालु जन मौजूद रहे। संतश्रीजी ने साइन बोर्ड पर मार्कर के द्वारा विविध सूत्रों के मुताबिक सुख एवं समृद्धि पूर्वक जीवन के लिए वास्तु अनुरूप अनेक प्रकार के मार्गदर्शन को सरलतापूर्वक समझाया व प्रश्नोत्तरी के द्वारा अनेक श्रद्धालुओं की शंकाओं का समाधान भी किया। गुरुदेवश्रीजी ने अपनी मांगलिक के साथ कार्यक्रम सम्पन्न किया। सभी को करुणामयी दयाभाव से मंगलमय जीवन का आशीर्वाद भी प्रदान किया।