देश को संभावित बड़ी हानि से बचाने हेतु लॉक डाउन का निर्णय न्यायोचित : दुर्गादास छंगाणी




बीकानेर। आवश्यक लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहने वाले और दोस्ती को सबसे बड़ा धर्म मानने वाले दुर्गादास छंगाणी का मानना है कि समाज से हम सब ने बहुत कुछ अर्जित किया है। लेकिन आज वक्त समाज को लौटाने का आ गया है। चाहे सामाजिक क्षेत्र हो, धार्मिक हो, सांस्कृतिक या खेलकूद हमें हमेशा "चरैवेति चरैवेति" यानी सदैव चलते रहने का सूत्र मानते हुए अपने कार्य को पूरी निष्ठा व समर्पण के साथ पूरा करना चाहिए। श्रीमद्भागवत गीता में लिखे कर्म योग सिद्धांत को सर्वश्रेष्ठ मानने वाले दुर्गादास छंगाणी का कहना है कि जीवन रक्षा, समाज रक्षा, देश रक्षा व विश्व रक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्तर पर कर्म करना आवश्यक है। बीकानेर नगर निगम के वार्ड नंबर 58 के कांग्रेस पार्टी के युवा एवं मृदु व्यवहारी पार्षद एक परिपक्व मुस्कान के साथ कहते हैं, यह सत्य है कि दुख की उत्पत्ति कर्म से ही होती है सारे दुख और कष्ट आसक्ति से उत्पन्न होते हैं। राजनीतिक पार्टी से जुड़े होने के साथ अनेक संस्थाओं से भी सक्रियता से जुड़े छंगाणी से जब कोरोना लॉक डाउन से पहले व लॉक डाउन के बाद की उनकी दिनचर्या को लेकर संवाद हुआ तो उन्होंने बताया कि प्रातः 7:00 बजे उठने के बाद दैनिक दिनचर्या से निवृत्त होते ही घर पर बतौर पार्षद क्षेत्रवासियों की फरियाद को निस्तारण हेतु क्रम बद्ध प्लान करते थे। फिर घर में भोजन करने के बाद 11:00 बजे तक नगर निगम अथवा अन्य सरकारी कार्यालयों के लिए वार्ड वासियों के कार्य हेतु निकल जाते, शाम तक वापस लौटने के बाद करीब 11:00 बजे तक ही घर-गृहस्थी में शामिल हो पाते थे। लेकिन इस समय उनका रूटीन एकदम बदल गया है। प्रातः 7:00 बजे से उठने के बाद 20,000 नागरिकों के वार्ड से अनगिनत फोन आने शुरू होते हैं जिन्हें जरूरतों के सामान पहुंचाने में वे स्वयं अथवा उनके करीब आधा दर्जन कार्यकर्ता जुट जाते हैं। इसमें सुई धागे से लेकर सब्जी, दवा, आटा, चावल, दाल सहित अनेक प्रकार के सामान होते हैं। वार्ड को अब तक तीन बार सैनिटाइजर करवा चुके हैं। साफ-सफाई का भी नियमित मॉनिटरिंग के साथ जरूरतमंदों को राशन सामग्री पहुंचा रहे हैं। अनेक सामाजिक संगठनों द्वारा सुबह-शाम 250 250 भोजन के पैकेट का वितरण उनके द्वारा किया जा रहा है। छंगाणी बताते हैं लॉक डाउन के बाद उनकी दिनचर्या बिल्कुल बदल गई है, अब तो देर रात करीब 2 बजे उनकी शाम ढलती है। समाज सेवा में सदैव तत्पर एवं आगे रहने वाले 40 वर्षीय दुर्गादास छंगाणी को सेवा का जज्बा विरासत में पिता फागणदास छंगाणी से मिला है। कोरोना वायरस के रूप में भी सक्रिय छंगाणी इस मानव सेवा के कार्य से ही दिन की शुरुआत करते हैं। दिन भर के समाज सेवा के विभिन्न कार्यों में व्यस्तता के बाद विश्राम संबंधी सवाल के जवाब में दुर्गा दास बताते हैं किसी भी जरूरतमंद या समस्याग्रस्त के कार्य को करने के बाद उस व्यक्ति के सुकून भरी मुस्कान को देखकर सारी थकान मिट जाती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि निश्चित ही प्रकृति के साथ छेड़खानी जैसे भू-संसाधनों का दोहन, जलबर्बादी, जीव हिंसा व विषैला होता पर्यावरण आदि सभी कारक समय-समय पर महामारी का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि लॉक डाउन में सरकारी दिशानिर्देशों का संपूर्ण पालन करना ही श्रेयस्कर है। देश को संभावित बड़ी हानि से बचाने के लिए लॉक डाउन का निर्णय अति उचित है। हम सभी का यह दायित्व भी है कि हम सरकारी निर्देशों, पीएम व सीएम के कथनों का अनुसरण करते हुए सुरक्षित व स्वस्थ रहकर नए सवेरे का इंतजार करें।




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