देश में लॉकडाउन पर असमंजस की स्थिति जल्द समाप्त हो, लॉकडाउन पर राजनीति नहीं हुई तो परिणाम जनता को भुगतने होंगे। भीलवाड़ा मॉडल राजस्थान के जयपुर में लागू क्यों नहीं किया जाता ?


सेन्ट्रल न्यूजडेस्क। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित 21 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन 14 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ाने पर कोई रियायत देने के लिए 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्री से संवाद किया। तब यह माना गया कि लॉकडाउन बढ़ाने पर कोई सर्वसम्मत फैसला होगा। इस बैठक के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन बढ़ाने की राय पर प्रधानमंत्री के साथ अपनी भी सहमति जता दी। तब यह उम्मीद जताई गई कि अब केन्द्र की ओर से देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ाने की घोषणा हो जाएगी। लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक भी अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, जिससे पूरे देश में असमंजस की स्थिति है। अब चूंकि प्रधानमंत्री के घोषित 21 दिन के लॉकडाउन को समाप्त होने में मात्र दो दिन शेष रह गए है, इसलिए देशवासियों को बेसब्री से इंतजार है। कोरोना वैश्विक महामारी है, इसलिए यही माना जाना चाहिए कि इससे मुकाबला करने में कोई राजनीति नहीं होगी, लेकिन पूरा देश देख रहा है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के संवाद से पहले ही उड़ीसा और पंजाब की सरकारों ने लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया। अभी प्रधानमंत्री ने कोई निर्णय लिया भी नहीं है कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी लॉकडाउन को बढ़ा चुके हैं। सवाल उठता है कि यह ऐसा कैसा तालमेल है जिसमें केन्द्र और राज्य के बीच खींचतान नजर आ रही है। यह माना कि जान बचाने के लिए लॉकडाउन जरूरी है, लेकिन गत 21 दिनों से अपने घरों में कैद रहने वाले करोड़ों लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए। दुकान से लेकर उद्योग तक बंद पड़े हैं। चौबीस घंटे में से 18 घंटे काम करने वाले लोग यदि चौबीस घंटे लगातार अपने घरों में कैद रहेंगे तो मानसिक स्थिति भी बिगड़ सकती है। ऐसे में देश में लॉकडाउन को लेकर असमंजस की स्थिति और खतरनाक होगी। लॉकडाउन की वजह से घर-परिवार में महत्वपूर्ण कार्य भी रुके हुए हैं, इससे भी परिवार में तनाव बढ़ रहा है। 


भीलवाड़ा मॉडल जयपुर में लागू क्यों नहीं..?


कोरोना वायरस से निपटने के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा प्रशासन ने जो सख्त कदम उठाए वे अब पूरे देश में मॉडल बन गए हैं। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन इसके बावजूद केन्द्र सरकार ने भीलवाड़ा मॉडल की प्रशंसा की है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 15 जिलों में हॉटस्पॉट क्षेत्रों में भीलवाड़ा मॉडल लागू किया है, लेकिन स्वयं राजस्थान अपने जयपुर में भीलवाड़ा मॉडल को लागू नहीं कर रहा है। जबकि जयपुर में अब तक 301 पॉजिटिव केस मिले हैं, इसमें से 270 केस अकेले रामगंज क्षेत्र के हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भीलवाड़ा मॉडल पर शाबाशी ले तो रहे हैं, लेकिन स्वयं के जयपुर में इस मॉडल को लागू नहीं कर रहे हैं। जबकि प्रतिदिन जयपुर खास कर रामगंज क्षेत्र की स्थिति खराब हो रही है। जब एक ही क्षेत्र से 270 व्यक्ति पॉजिटिव हैं तो भीलवाड़ा मॉडल लागू नहीं करने में झिझक क्यों ? क्या सरकार जयपुर में भीलवाड़ा जैसी सख्ती करने की हिम्मत नहीं कर सकती ?
(साभार : एसपी.मित्तल)


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