एमपी ब्रेकिंग ; जदोजहद-राजी नाराज़ी के बीच मन्त्रिमण्डल विस्तार, मंत्रियों को सौपे गए संभागों के प्रभार...



सेंट्रल न्यूज डेस्क।  शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंगलवार को पांच मंत्रियों को शामिल कर लिया गया लेकिन इसके साथ ही नई बहस शुरू हो गयी है इसमें कई बीजेपी के वरिष्‍ठ नेताओं को शामिल नहीं किये जाने को लेकर तरह-तरह की चर्चा हैं।


जहां एक ओर कहा जा रहा है कि छोटा मंत्रिमण्‍डल गठन किया गया इसलिये इसमें सभी को स्‍थान नहीं दिया जा सकता था वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि 8 बार के विधायक गोपाल भार्गव सहित भूपेंद्र सिंह, गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह, यशोधरा राजे सिंधिया, राजेंद्र शुक्ला और रामपाल सिंह जैसे नेताओं को दूर रखना ठीक नहीं। कांग्रेस से बीजेपी में आए बिसाहूलाल सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभुराम चौधरी को भी वेटिंग में रखा गया हैं।
पार्टी ने एक सप्ताह पहले शिवराज सिंह की पहल पर पांच लोगों को कैबिनेट बनाने की मंजूरी दी थी। तभी से तमाम बड़े नेता इस प्रयास में थे कि कैबिनेट की संख्या 5 से बढ़ाकर 15 हो जाए, ताकि उनका निजी संतुलन बना रहे, पर हाईकमान तमाम कोशिशों के बाद इसके लिये सहमत नहीं हुआ।


कैबिनेट के गठन में न तो किसी गुट विशेष के नेता को महत्व दिया गया और न ही किसी की पसंद या नापसंद को तरजीह दी गई। कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह ने संकट मोचक डॉ. नरोत्‍तम मिश्र एवं तुलसी सिलावट को इसलिए स्‍थान दिया क्‍योंकि ये दोनों ही पूर्व में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री रह चुके है, जिसका लाभ कोरोना संक्रमण से निपटने में अब प्रत्‍यक्ष रूप से मिल सकेगा। कमल पटेल एवं गोविंद सिंह राजपूत भी इससे पूर्व प्रमुख विभागों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं, उनके अनुभव का लाभ भी संकट के समय में मिलेगा। कमल पटेल ने भाजपा की सरकार में ही मंत्री रहते हुए राजस्व और चिकित्सा शिक्षा जैसे विभागों में अभूतपूर्व काम किया था। पहली बार ऐसा मौका आया, जब पटेल को बिना किसी लॉबिंग के मंत्री बनने का मौका मिला। पटेल जाट हैं और पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सुश्री मीना सिंह, आदिवासी वर्ग से हैं। मीना सिंह भी लंबे समय से सत्‍ता सुख से दूर रही। मीना सिंह पहले राज्यमंत्री हुआ करती थीं बाद में उन्हें हटा दिया गया था। मीना सिंह को कैबिनेट में लेकर दो निशाने साधे गए एक तो महिला को स्थान दिया गया है दूसरा एक नया आदिवासी चेहरा पेश किया गया है, जिसकी लंबे समय से कवायद चल रही थी। मीना सिंह को विंध्य क्षेत्र का प्रतिनिधि माना जा सकता है।


ये वरिष्‍ठ फिलहाल रह गये दूर


नेता प्रतिपक्ष रहे विधायक प.गोपाल भार्गव वरिष्‍ठता के साथ ही मध्य प्रदेश में उमा भारती की सरकार से लेकर बाबू लाल गौर और शिवराज सिंह चौहान की सभी सरकारों में गोपाल भार्गव मंत्रिमंडल में शामिल रहे थे। बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं, लेकिन इस शिवराज कैबिनेट में फिलहाल जगह नहीं पा सके हैं। गौरीशंकर बिसेन मध्य प्रदेश में बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता माने जाते हैं। लोकसभा सदस्य से लेकर कई बार विधायक चुने जा चुके हैं। प्रदेश में 2008 से लेकर 2013 तक में शिवराज कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री रहे, लेकिन इस बार उन्हें जगह नहीं मिल सकी है। वहीं, शिवराज सिंह की पिछली सरकार में गृह और परिवहन जैसे भारी भरकम मंत्रालय की जिम्मेजदारी संभालने वाले भूपेंद्र सिंह को भी पहले चरण की कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। माना जा रहा था कि पांच मंत्रियों को शपथ दिलाने के निर्णय के बाद जो 2-3 दिन का विलंब हुआ, वह संभवत इसीलिए था कि किसी तरह से इन दिग्गजों को मंत्री बनाया जा सके।


मंत्री बनने की दौड़ में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया चार बार की विधायक हैं। शिवराज की पिछली सरकार में मंत्री भी रही हैं, लेकिन इस बार उनको भी जगह नहीं मिली। कुंवर विजय शाह 1993 से लगातार विधायक हैं और 2008 से लेकर 2018 तक शिवराज सरकार में मंत्री रहे हैं, लेकिन इस बार जगह नहीं पा सके। राजेंद्र शुक्ला बीजेपी के दिग्गज नेता और ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। शुक्‍ला उमा भारती की सरकार से लेकर अभी तक बीजेपी की सभी सरकारों में मंत्री रहे हैं, लेकिन इस बार उन्हें भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली। इसी तरह से शिवराज सिंह के करीबी रामपाल सिंह को भी फिलहाल कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है।


मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की संख्या के लिहाज से मंत्रिमंडल में अधिकतम 15 प्रतिशत यानी 35 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. शिवराज सिंह चौहान ने फिलहाल 5 लोगों को जगह दी है और उन्हें मिलाकर छह लोग ही होते हैं। मंत्रिमंडल में अभी भी 29 जगह हैं, माना जा रहा है कि बाद में बीजेपी के दिग्गज नेताओं को जगह दी सकती है। इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले कुछ नेताओं को भी मंत्री बनाया जा सकता है।
क्षेत्रीय-राजनीतिक और जातीय संतुलन का प्रयास


शिवराज समर्थक एक नेता का दावा है कि शिवराज सिंह के 5 सदस्यीय मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय, जातीय और राजनीतिक तीनों समीकरणों का पूरा ध्यान रखा गया है। ग्वालियर, चंबल, बुंदेलखंड, मालवा, विंध्य और मध्य क्षेत्र से एक-एक सदस्‍य को कैबिनेट में शामिल किया गया है। वहीं, जातिगत समीकरण साधने के लिए ब्राह्मण, क्षत्रिय, अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग से एक-एक चेहरे को मंत्री बनाया गया है। कमलनाथ सरकार को गिराने और बीजेपी को सत्ता में लाने के अहम किरदार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के दो खासमखास समर्थकों तुलसीराम सिलावट और गोविंद राजपूत को मंत्री बनाकर राजनीतिक बैलेंस भी बनाए रखा गया है।


*मंत्रियों को सौपे गए संभागों के प्रभार...*
1-नरोत्तम मिश्रा भोपाल और उज्जैन
2-तुलसी सिलावट इंदौर और सागर
3-कमल पटेल जबलपुर और नर्मदा पुरम
4--गोविंद सिंह राजपूत  ग्वालियर और चम्बल
5--मीना सिंह रीवा और शहडोल


यह रहेगी जवाबदेही..


- डिविजनल कमिश्नर, आईजी एसपी कलेक्टर स्वास्थ्य विभाग के साथ स्थानीय स्तर पर कोआर्डिनेशन
- जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद और बैठ के
- जनता से फीडबैक लेना
- अधिकारियों को समय समय पर निर्देशित करना
- जहां जहां निर्माण कार्य शुरू होंगे और खासकर कृषि से संबंधित काम पर फोकस करना


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