कोरोना ; तबलीगी जमात की जानलेवा करतूत को धर्म से ऊपर उठकर निपटाना ही होगा, कहां है इंसानियत..?, संक्रमण से प्रभावित लोग स्वत: ही सामने आए।


न्यूज डेस्क। एक अप्रैल को भी देशभर में तबलीगी जमात की करतूत की दहशत बनी रही। न जाने कितने लोग बेमौत मारे जाएंगे, लेकिन इसके बाद भी टीवी चैनलों पर बैठ कर अनेक विद्वान तबलीगी जमात का बचाव कर रहे हैं। ऐसे लोगों के अपने तर्क हैं, लेकिन सब जानते हैं कि डब्ल्यूएचओ ने 30 जनवरी को ही कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज तबलीगी जमात की अंतर्राष्ट्रीय बैठकें होती रही। सवाल उठता है कि जमात के पदाधिकारियों ने विदेशी प्रतिनिधियों को दिल्ली क्यों बुलाया? गंभीर बात तो यह है कि विदेशी प्रतिनिधियों के साथ भारत के विभिन्न प्रांतों के प्रतिनिधियों को साथ रखा और अब ऐसे प्रतिनिधि ही अपने अपने प्रांतों में जाकर कोरोना वायरस की ही भूमिका निभा रहे हैं। बचाव करने के वो कुछ भी तर्क दें, लेकिन तबलीगी जमात की इस करतूत से पूरा देश संकट में आ गया है। अच्छा हो कि तबलीगी जमात की बैठक में भाग लेकर लौटे धर्मप्रचारक स्वयं की जांच के लिए प्रस्तुत करें और उनके बारे में भी बताएं जो पिछले दिनों सम्पर्क में आए हैं। माना कि धर्म सबसे पहले हैं, लेकिन धर्म का झंडा तभी लहराएगा जब इंसान होगा। यदि इंसान ही नहीं बचेगा तो फिर धर्म का प्रचार किस के बीच होगा? अभी इंसान को बचाने की जरुरत हैं, इसमें तबलीगी जमात के प्रतिनिधियों को पहल करनी चाहिए। कोरोना वायरस की दहशत की वज से ही मक्का में उमरा तक को बंद कर दिया गया है। अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में भी जायरीन का प्रवेश बंद हैं। ऐसे तबलीगी जमात को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। इस्लाम धर्म यह शिक्षा नहीं देता कि बेवजह किसी की जान ली जाए। जब इस्लाम धर्म को हिंसा और ज्यादती के खिलाफ माना जाता है, तब कुछ लोग स्वयं कोरोना वायरस क्यों बन रहे हैं? अच्छा हो, जो कि जमात के पदाधिकारी अब उन प्रतिनिधियों के नाम पते सरकार को बताएं, जिन्होंने पिछले दिनों दिल्ली की बैठकों में भाग लिया। जहां तक केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल की सरकार का सवाल है तो वह अपनी जिम्मेदारियोंं से बच नहीं सकती। देशी-विदेशी लोगों का जमघट निजामुद्दीन में होता रहे और पुलिस व राज्य सरकार को पता नहीं चले, ऐसा संभव नहीं है। जाहिर है कि तालमेल के अभाव के चलते घोर लापरवाही बरती गई है। जमात की इस कार्यवाही को वाकई धर्म से ऊपर उठकर निपटाने की जरुरत है। 
(साभार : एसपी.मित्तल)


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