संतों का श्राप ; उद्धव की कुर्शी खतरे में..!


न्यूज डेस्क। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे वर्तमान में किसी भी सदन के सदस्य नही है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4) के तहत  किसी भी सदन से जुड़े ना होने के बावजूद भी कोई भी शख्स 6 महीने तक मंत्रिमंडल में मंत्री या मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकता है लेकिन केवल 6 माह बीत जाने के  बाद नहीं।खैर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अब इन बदले राजनीति माहौल में ठाकरे को 28 मई तक किसी भी एक सदन का सदस्य बनने की संवैधानिक बाध्यता है। यदि ऐसा नहीं होता है तो  उन्हें मुख्यमंत्री कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। हालांकि महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल ने एक बार पुनः विधान परिषद की खाली एक सीट पर उद्धव ठाकरे को एमएलसी नियुक्त करने की सिफारिश की है। अब आगे क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन फिलहाल उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है। लोग इसे गत दिनों राज्य में हुई संतों की हत्या के बाद से श्राप के रुप मे भी जोड़ रहे है, खैर होना जो भी हो, शीघ्र इसकी भी परतें खुल जाएगी।