इटरनल हॉस्पिटल ने फिर से फहराई कीर्तिमानी पताका, रचा देश में इतिहास

 


दिल के मरीजों के लिए बन रहा वरदान; पेसमेकर की तार से जोड़ा दिल का तार, बिना सर्जरी एक साथ बदले दो वाल्व



संजय जोशी, जस्ट राजस्थान ब्यूरो, जयपुर। मेडिकल साइंस की तरक्की भारत में पहली बार दो मरीजों के लिए वरदान साबित हुई है। देश में पहली बार जयपुर के डॉक्टर्स ने हॉट-सीआरटी तकनीक से पेसमेकर के तार को दिल की तार से जोड़कर एक हार्ट फैलियर मरीज की जान बचाई है। वहीं ऐसे ही एक अन्य दुर्लभ केस में बगैर चीरफाड़ के कैथेटर के जरिए दो वाल्व एक साथ बदलने में सफलता प्राप्त की गई है। भारत के इन दो पहले हार्ट केसों का गवाह बना है राजधानी जयपुर का विश्वविख्यात इटरनल हॉस्पिटल। अत्याधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में विविध प्रयोगों के माध्यम से अपने विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के द्वारा लोगों को नया जीवन प्रदान करने में निजी क्षेत्र का यह अग्रणी संस्थान है । जी हां, अमेरिका के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट और इटरनल हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर समीन के. शर्मा ने शुक्रवार को यहां आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को बताया कि भारत में तो यह दोनों केस पहली बार हुए हैं, वहीं विदेशों में भी ऐसे केस दुर्लभ ही है। उन्होंने बताया कि दिल को विद्युत प्रवाह देने के लिए पेसमेकर के तीन तारों से भी लाभ नहीं मिलने पर चौथे तार को सीधे हार्ट के तार से जोड़ना अपने आप में अजूबा है। इससे दिल के सभी हिस्सों को बराबर करंट पहुंचने से दिल की धड़कन सामान्य करने में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल व इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी डायरेक्टर डाक्टर जितेंद्र सिंह मक्कड़ और डॉक्टर कुशकुमार भगत ने यह केस सफलतापूर्वक करके फेलियर मरीज की जान बचाई है। इसी प्रकार इटरनल हॉस्पिटल के ही टावर एंड स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज के डायरेक्टर डॉ रवींद्रसिंह राव ने भी बगैर ओपन सर्जरी के देश में प्रथम बार किसी मरीज के हार्ट के दो वाल्व एक साथ बदलकर कामयाबी हासिल की है। इसमें ट्रांसकैथेटर वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक से हृदय के एओर्टिक व माइट्रल वाल्व बदले गए हैं। डॉ समीन ने कहा कि उनका प्रयास है कि अमेरिका में अपनाई जा रही इलाज की अत्याधुनिक तकनीकों को जयपुर में भी आम मरीजों को उपलब्ध कराया जाए ताकि उन्हें इलाज के लिए कहीं बाहर न जाना पड़े। प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ प्राचीस प्रकाश व मार्केटिंग हेड नितेश तिवारी भी मौजूद रहे।


तीन तारों से नहीं बना काम तो दिल से जोड़ा चौथा तार..


डॉ जितेंद्र सिंह मक्कड़ ने बताया कि भरतपुर की 67 वर्षीय शकुंतला देवी को लंबे समय से हार्ट प्रॉब्लम चल रही थी और बढ़ते-बढ़ते हार्ट फैलियर की स्थिति इतनी हो गई कि हृदय की कार्य क्षमता 15 से 20 फीसदी ही रह गई। पेसमेकर के तीनों तारों से भी काम नहीं बना तो ऐसे में उनकी जान बचाने के लिए हॉट सीआरटी तकनीक अपनाकर चौथे तार को हृदय से विद्युत प्रवाह करने वाली मुख्य तार जिसे हिज बंडल कहते हैं, से जोड़ा गया। ऐसा भारत में पहली बार हुआ है। इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर कुशकुमार भगत ने बताया कि मरीज को पेसमेकर की तीसरी तार जिस नस में लगानी थी, वह काफी कमजोर थी और वहां तार लगाने से पेसमेकर का लाभ नहीं मिल पाता, इसलिए हॉट-सीआरटी (हिज बंडल) तकनीक से चौथा तार दिल से जोड़ा गया। मरीज की पूर्ण स्वस्थता की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस शल्यप्रक्रिया में 1 से 2 घंटे का समय लगा था।


 चिरफाड़ नहीं और बदल दिए दो वाल्व


 ट्रांसकैथेटर वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक (टावर) से बिना किसी चीर फाड़ के एक साथ दो हार्ट वाल्व बदलने का मामला भी देश में अनूठा है। डॉक्टर रविंद्रसिंह राव ने बताया कि दिल की मरीज नागपुर की 78 वर्षीय सरिता को सांस लेने व सीने में दर्द की शिकायत थी। उनके दो वाल्व काम नहीं कर रहे थे। वर्ष 2012 में उनकी ओपन हार्ट सर्जरी में वाल्व बदला गया था, लेकिन अब दो खराब हो चुके थे। मरीज की अधिक उम्र व पहले किए गए ऑपरेशन से दोबारा ओपन सर्जरी करना खतरनाक साबित हो सकता था, इसीलिए ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक का इस्तेमाल कर उनका इलाज किया गया। राव ने बताया कि देश में यह पहला केस है, जिसमें बगैर चीरफाड़ के एक साथ एऑर्टिक व माइट्रल दोनों वाल्व कैथेटर के जरिए बदले गए हैं।  डेड घंटे के इस प्रोसीजर के बाद मरीज आईसीयू में एक दिन रही रिकवर फास्ट हुआ, मरीज अब एक बार में बगैर किसी परेशानी के 30 से 45 मिनट पैदल भी चल सकती है।



इटरनल फाउंडेशन करेगा जरूरतमंदों का भी इलाज


 इटरनल हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर समीन शर्मा ने बताया कि सामाजिक सरोकारों के तहत हाल ही हमने इटरनल हेल्थ केयर फाउंडेशन का गठन किया है। इस फाउंडेशन के माध्यम से इटरनल में आने वाले जरूरतमंद रोगियों को भी रियायती अथवा निशुल्क स्तर पर इलाज किया जाएगा एवं उनकी जान बचाई जाएगी। इस फाउंडेशन में फिलहाल दानदाताओं के सहयोग से ग्यारह करोड़ रुपये जमा है।अगले वर्ष तक इसमें मूलधन के रूप में तीस करोड़ रुपये जमा कर मासिक उसके ब्याज से ईटरनल जरूरत मंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ प्रदान करते हुए सामाजिक सरोकारों के तहत अपनी महती भूमिका का निर्वहन करेगा।