जीवन का जश्न मनाएं, जीवन आपका जश्न मनाएगा : देवेंद्रसागरसूरिजी


बेंगलुरु। आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने पार्श्व सुशील धाम में रविवार को अपने प्रवचन में कहा कि लाभ और हानि, ये निजी जीवन का भी हिस्सा है और व्यवसायिक जीवन का भी। कर्म का परिणाम फायदा या नुकसान हो सकता है। कार्यों में भाग्यवादी होना नुकसानदायक है। उन्होंने कहा कि हर हालत में कर्म करते रहना चाहिए। अगर कर्म छूट जाए तो सारा लाभ, हानि में बदल सकता है। 'जब तक कि हमारा कोई काम पूरा ना हो जाए, परिणाम हाथ में ना आ जाए, प्रयास करते रहना चाहिए।' वे बोले, कई बार ऐसा होता है कि किसी काम में सफलता नजर आ रही होती है और हम सफलता को देखकर प्रयास रोक देते हैं। नतीजा सफलता मिलते-मिलते रह जाती है। दूर से सफलता का अनुमान लगाना भाग्यवाद को बढ़ावा देता है। इससे बचना चाहिए और अंतिम समय तक काम करते रहना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि सफलता प्रथम प्रयास में ही मिल जाए। जो आज शिखर पर पहुंचे हुए हैं वे भी कई बार गिरे हैं, ठोकर खाई है। आचार्यश्री ने यह भी कहा कि जितना तुम कर सकते हो उतना करो, फिर जो तुम नहीं कर सको, उसे परमात्मा करेगा। आप सिर्फ़ जीवन का जश्न मनाएं और जीवन आपका जश्न मनाएगा।''


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