खूब वायरल हो रहा है, (जैनों का दुर्भाग्य..) एक दबंग जैनाचार्य की सीख..! जीतो संस्था को भी लिया कटघरे में.. पढ़िए हूबहू यह पाती..,

 


सेंट्रल डेस्क।


*जैनों का दुर्भाग्य देखिये*
💥💥💥 आज जब हमारे हजारों भाई बहनों, जिन की आर्थिक स्थिति बिल्कुल सही नहीं है और दूसरी तरफ हमारी जैन संस्थाएं और जीतो जैसी संस्थाएं करोड़ों रुपए दानवीर बनने की उपाधि के लिए और फोटो खिंचवाने की होड़ में  खर्च किए जा रहे हैं , जिसका  आने वाले समय में कोई विशेष उपयोग नहीं है खासकर निम्न वर्गीय जैनों को जिनको कोई सरकारी आरक्षण नहीं मिलता या फिर कोई खास मदद, और तो और राशन कार्ड या कोई सरकारी समाज कल्याण का फायदा नहीं मिलता। 💥🎊💥


*Read more* पर टच करे 🌹


हमारे समाज के अमीर भाई यही पैसा  अगर अगर जैन भाइयों के आर्थिक विकास के लिए और महामारी की हालात को देखते हुए  खर्च करे  तो बहुत ही सुंदर होगा और जिन शासन की सेवा होगी। *यह जो बड़े बड़े शहरों में खाना खिलाने की होड़ चल रही वह एक वाह वाही लूटने का जरिया है।*
बंगलौर बंबई में तो कई संस्थाएं हजारों खाने के पैकेट बनाकर वितरण कर रही है जो कई तो ऐसे ही फेंके जा रहे। बिना जरूरत वाले इलाके में  50000 पैकेट एक महानगर में और आस पास  दिए जाते है जिनकी जरूरत ही विवादास्पद है, और हास्यास्पद है। *जीतो JITO* के बांटे हुए कई पैकेट सड़को पर पड़े मिले जैसा की एक वीडियो में देखने को मिला। 😭😭😭


जैसा कि *आचार्य विमल सागर जी* ने कहा 25  करोड़ रुपए में 2500 जैन परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधर सकती है । एक मोटे से हिसाब से अगर सब जैन संस्थाओं ने मिलकर अगर *500 करोड़ भी दान किए है तो उससे 50000 जैन परिवारों का उत्थान किया का सकता था* । 🙏🙏🙏🙏
*लेकिन दुर्भाग्य से हमारे समाज के ठेकेदार तो इन पैसों से दानवीर की उपाधि, फोटो खिंचवाने  के लिए और विदेशो में अय्याशी के लिए ज्यादा लालयित है*! 😢😢


कहां जा रहे है ये लोग जो भामाशाह की उपाधि के चक्कर में पैसा गलत रास्ते में खर्च कर रहे , जिसका आभार हमे कुछ ही दिनों में विपरीत ही मिलेगा। यही लोग हमारे घरों पर हमला करेंगे और हमारे साधुओं को मारेंगे।


💥💥💥💥🎊🎊
*सरकार के पास लाखों-करोड़ों है वह सब का ध्यान रख सकती है और रख भी रही है अभी हाल ही में सरकार ने  लगभग 32000 करोड़ सिर्फ दिवाली बोनस और DA में सिर्फ 1% लोगों को दिए हैं* जो एक पॉकेट मनी कि तरह है।  तो बाकी 99% लोगो के लिए सरकार सोचो कितना खर्च कर सकती है ?  *सरकार चाहे तो इसका 10 गुना पैसा और खर्च कर सकती है , लेकिन हमारे स्वाभिमानी जैन गरीब परिवारों की कौन मदद करेगा , जब हमारे भाई ही नहीं करेंगे*?


इसलिए हमारा सारे  जैन समाज से विशेष अनुरोध है पहले आप अपने भाईयो बहनों की मदद करे। इस गलत फाहमी में ना रहे कि सारे जैन अमीर है । शायद आपको पता होगा कि जैन धर्म हर प्रांत में है और हर जाति और भाषा के लोगो में है *जैसे कि मराठी जैन, तमिल जैन, बंगाली सरक जैन, कन्नड जैन, मलयाली जैन*, जिनकी आर्थिक स्तिथि बद से बदतर है जो धर्मांतरण के लिए मजबूर है आज भी  हो रहा है और इतिहास भी गवाह है। और तो और राजस्थानी और गुजराती जैन परिवारों जो हजारों में है जिनकी स्तिथि बदतर है। मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश के जैनों को भी गिनो तो हालात बड़ी दयनीय है। ये बेचारे तो कोई सरकारी आरक्षण और सुविधा भी नहीं पा सकते।


*हमारा कर्तव्य बनता है कि हम पहले आर्थिक स्थिति से कमजोर जैन परिवारों  की सहायता  करें*! 🎊


*हमारे गुरु भगवंत भी कह रहे है  कि गलत दिया हुआ दान गलत जगह गया हुआ दान सिर्फ हमारे पांवों पर , हमारे भविष्य पर, और हमारे अस्तित्व पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है* क्योंकि हाल में देखा गया है कि स्थानीय लोग जैनों को मारने आते हैं । क्योंकि हम अपने  पैसों का बहुत आडंबर करते हैं उनकी ही धरती पर उनकी धरती पर कमाये  हुए पैसों से भामाशाह बनने के चक्कर में सारे समाज का नुक़सान कर रहे है।  नाम आप कमाओगे और सारा समाज उसका खामियाजा भुगतेगा। ✨💥


💥 *हमारा ध्यान सिर्फ जैन भाइयों की तरफ होना चाहिए जिससे जैन धर्म की रक्षा हो सके , हमारे भावी पीढ़ी की परवरिश अच्छी हो सके। लेकिन हम भामाशाह तो जरूर बनेंगे लेकिन हमारे बच्चे तो  इसाई स्कूलों में ही जाएंगे*, चाहे कुछ भी हो जाए। भाड़ में जाए हमारा समाज ।


*जागो जैनों जागो, समाज के ठेकेदारों जागो , पहले अपने भाईयो की मदद करो,  बाद में फिर भी ज्यादा हो तो पूरी दुनिया में  दान दिया जा सकता है*💥


इन सुविचारों से हमारी धारणा है कि कुछ तो बदलेगा। याद रखे 500 करोड़ रूपए 50000 जैन परिवारों को ऊपर उठा सकते है। तो क्यों नहीं हम इस विषय में सोचे।


*जय जिनेन्द्र*


*एक खास बात -जैन धर्म के ट्रस्टी कहते हैं की मंदिर का पैसा सिर्फ देव द्रव्य है जो सामाजिक काम में नहीं लगता लेकिन देखा गया है की कई मंदिरों ने कई लाखों रुपए राहत में दिए हैं जो देव धर्म , जिन धर्म पर खर्च नहीं हो रहा है।  तो जैन समाज के निम्न वर्ग पर क्यों नहीं* ।


*गुजारिश है आपसे - जैन मंदिरों के ट्रस्टियों, दानवीरों  और जीतो के व्यापारियों, क्यों आप समाज को गुमराह कर रहे है और जैन समाज के अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हो ? सिर्फ अपने मान सम्मान, अभिमान और आडम्बर के लिए , भामाशाह और दानवीर की उपाधि के लिए* ?


*नई सोच नई दिशा , जैन धर्म हमेशा* 👏👏👏


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