कोरोना ; जानलेवा कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर क्या समुदाय विशेष के लोगों को यूं ही छोड़ दिया जाए? चिकित्सा कर्मियों के साथ मारपीट की घटनाएं भी बेहद शर्मनाक।


न्यूज डेस्क। 2 अप्रैल को ही न्यूज चैनलों पर दिन भर उन खबरों का प्रसारण होता रहा, जिसमें समुदाय विशेष के लोग चिकित्सा कर्मियों के साथ मारपीट कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर से लेकर यूपी के मुजफ्फरपुर तथा बिहार के मुंगेर के साथ दिल्ली के निजामुद्दीन तक की घटनाएं बताती है कि जो डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी कोरोना वायरस के प्रकोप में अपनी जान जोखिम में डाल कर मदद के लिए पहुंचे हैं, उन्हें ही मारा पीटा जा रहा है। जब कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया में हजारों लोग मर रहे हैं तब हमारे चिकित्साकर्मी लोगों को बचाने के लिए घर-घर घूम रहे हैं। अब यदि चिकित्सा कर्मियों के साथ इस तरह मारपीट की जाती है तो सवाल उठता है कि क्या समुदाय विशेष के लोगों को यूं ही छोड़ दिया जाए? हालांकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा करना संभव नहीं है, लेकिन सवाल यह भी है कि कोई सरकार अपने चिकित्सा कर्मियों को कब तक ऐसी परिस्थितियों में काम करवा सकती है। समुदाय विशेष के लोगों की अपनी धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं हो सकती है, लेकिन ऐसी आस्था से यदि समाज के दूसरे वर्ग के लोगों की जान को खतरा हो तो फिर कार्यवाही तो करनी ही पड़ेगी। सब जानते हैं कि 30 मार्च से पहले तक दुनिया के देशों के मुकाबले भारत में कोरोना पॉजिटिव संख्या बहुत कम थी, लेकिन दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज का मामला सामने आते ही सैकड़ों लोग कोरोना पॉजिटिव हो गए। मरकज में भाग लेने के बाद तबलीगी जमात के प्रतिनिधि देश के 22 राज्यों में भी पहुंच गए। हालात अब बेहद खराब हो रहे हैं। सवाल उठता है कि क्या ऐसे संक्रमित लोगों की जान नहीं बचाई जाए? यदि जमात का कोई प्रतिनिधि चिकित्सा के अभाव में मर गया तो किसकी जिम्मेदारी होगी। सवाल यह भी है कि चिकित्सा कर्मी का क्या दोष है। उन्हें पत्थर मार कर क्यों भगाया जा रहा है? ऐसे में यदि चिकित्सा कर्मियों ने काम बंद कर दिया तब क्या होगा? एक चिकित्सा, सफाई, पुलिस आदि विभाग के मुस्तैद कर्मिकों का अभिनंदन हो रहा है तो कुछ लोग ऐसे कर्मियों के साथ मारपीट कर रहे हैं। कल्पना कीजिए की यदि सफाई कर्मियों ने कोरोना के प्रकोप में काम बंद कर दिया तो देश के हालात कैसे होंगे? सवाल उठता है कि आखिर कुछ लोग देश को नुकसान पहुंचाने वाला काम क्यों कर रहे हैं?


कोरोना में सरकार के आदेश की पालना करें..
तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद ने 2 अप्रैल को यूट्यूब पर एक ऑडियो पोस्ट किया है। ऑडियो में मौलाना ने कहा कि कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर लोगों को सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। इन दिनों वे स्वयं भी डॉक्टरों की सलाह पर क्वारंटीन में हैं और लोगों को भी डॉक्टरों की सलाह माननी चाहिए। मौलाना साद के ताजा ऑडियों को अब सकारात्मक नजरिए से देखा जा रहा है, क्योंकि पूर्व में जारी ऑडियों में मौलाना साद ने कोरोना को मुसलमानों के प्रति एक साजिश बताया था। मौलाना ने मुसलमानों से मस्जिद में आकर रोजाना नमाज पढऩे की बात कही थी। मौलाना का यह भी कहना रहा कि अल्लाह के नाम से किसी की भी सेहत खराब नहीं होगी। मालूम हो कि तबलीगी जमात का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन में है और यही पर गत जनवरी से लगातार बैठकें हो रही थीं। 30 मार्च को पुलिस ने कार्यवाही कर करीब ढाई हजार जमातियों को बाहर निकाला। तबलीगी जमात का मुसलमानों में जबर्दस्त प्रभाव है। 
(साभार: एसपी.मित्तल)


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