एमपी और यूपी के मजदूरों को राजस्थान की सीमा में प्रवेश नहीं! आखिर करोड़ों मजदूरों का इधर-उधर जाना देश को कहां ले जाएगा? अब क्या मायने रखता है लॉकडाउन और रेडजोन..


न्यूजडेस्क।  एमपी और यूपी के मजदूरों को राजस्थान की सीमा में प्रवेश नहीं! आखिर करोड़ों मजदूरों का इधर-उधर जाना देश को कहां ले जाएगा? अब क्या मायने रखता है लॉकडाउन और रेडजोन.. , जी हां इसी विषय को लेकर आज की रपट पढ़िए..!
दो मई को मीडिया में खबर आई कि मध्यप्रेश और उत्तर प्रदेश के हजारों मजदूरों को राजस्थान की सीमा पर रोक दिया गया है। ये मजदूर राजस्थान से गुजरकर अपने प्रदेशों में जाना चाहते हैं। राजस्थान की सीमा पर इन मजदूरों को क्यों रोका, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह स्थिति देशभर में उत्पन्न हो रही है। राज्यों की मांग पर केन्द्र सरकार ने मजदूरों को अपने अपने प्रदेशों में जाने की छूट दे दी है। अब तक तो ऐसे मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गंतव्य तक पहुंच रहे थे, लेकिन अब सरकार ने इन मजदूरों के लिए विशेष ट्रेने चला दी है। राज्य सरकारें अपनी रोडवेज की बसों में भी प्रवासी मजदूरों को ला रही है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रही। देश में गहलोत ही पहले मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंनेे प्रवासी राजस्थानियों को लाने की बात कर केन्द्र से विशेष ट्रेन चलाने की मांग की। अब तो मजदूरों को लाने में राज्यों के बीच होड़ मच गई है। अकेले राजस्थान में करीब 15 लाख मजदूरों को अन्य प्रदेशों से लाया जा रहा है। जब करोडों मजदूर इधर उधर जाएंगे तब लॉकडाउन का क्या होगा? लॉकडाउन की वजह से देशवासी अपने घरों में कैद होकर रहे हैं। कहा जा रहा है यदि लोग अपने घरों से बाहर निकले तो कोरोना वायरस की चपेट में आ जाएंगे। बाहर निकलने पर पुलिस भी डंडे से पीटती है। भीड़ एकत्रित न हो, इसलिए मस्जिदों में नाम पढऩे और मंदिरों में पूजा करने पर भी रोक लगा दी है। यदि कोई व्यक्ति सामूहिक तौर पर नमाज पढ़ता है या फिर कोई व्यक्ति मंदिर में पूजा अर्चना करता है तो उस पर मुकदमा दर्ज किया जाता है। सवाल उठता है कि क्या करोड़ों मजदूरों के इधर उधर जाने से कानून का उल्लंघन नहीं हो रहा? क्या मजदूरों के लिए अलग और आम लोगों के लिए अलग कानून है? जब घर से बाहर निकलने पर संक्रमित होने का डर है, तब करोड़ों मजदूरों के बीच संक्रमण को कैसे रोका जाएगा? रेड जोन वाले जिलों के मजदूर भी अपने गृह राज्य में जा रहे हैं। क्या  ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों का कोरोना टेस्ट संभव है? कोरोना टेस्ट किट की कमी के चलते जरूरी व्यक्तियों के टेस्ट भी टाले जा रहे हैं। सवाल यह भी है कि अब एक ओर उद्योग खोलने की बात की जा रही है, तब मजदूरों को अपने घरों पर क्यों भिजवाया जा रहा है? जब मजदूर ही नहीं रहेंगे तब उद्योग कैसे चलेंगे? ऐसा प्रतीत होता है कि लॉकडाउन की क्रियान्विति को लेकर सरकार के स्तर पर एक के बाद एक गलती होती चली गई। यह वजह है कि आज करोड़ों मजदूरों के इधर उधर जाने से लॉकडाउन का मतलब ही समाप्त हो गया है। दो माह से घरों में केद देशवासियों की तपस्या पर पान फिरता नजर आ रहा है। 
(साभार : एसपी.मित्तल)


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